भारतीय दर्शन (Indian Philosophy) केवल विचारों का एक समूह नहीं है, यह जीवन के रहस्यों को समझने और सत्य की खोज करने का एक गहरा प्रयास है। यह दर्शन न केवल तर्क और विवेक पर आधारित है, बल्कि अनुभव, ध्यान और आत्मनिरीक्षण पर भी ज़ोर देता है। भारत की दार्शनिक परंपरा हजारों वर्षों से चली आ रही है और आज भी उतनी ही प्रासंगिक है।
भारतीय दर्शन की प्रमुख विशेषताएं
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यह आत्मा (आत्मा) और ब्रह्म (सर्वोच्च सत्य) की खोज पर केंद्रित है
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इसका उद्देश्य केवल ज्ञान नहीं बल्कि मोक्ष (मुक्ति) प्राप्त करना है
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यह भौतिक और आध्यात्मिक दोनों स्तरों पर विचार करता है
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अनुभव और व्यक्तिगत साधना को तर्क के बराबर महत्व देता है
भारतीय दर्शन के दो मुख्य वर्ग
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आस्तिक दर्शन (Theistic or Orthodox)
– ये वे दर्शन हैं जो वेदों की प्रामाणिकता को मानते हैं:-
न्याय (तर्क और प्रमाण का दर्शन)
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वैशेषिक (पदार्थों का विश्लेषण)
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सांख्य (प्रकृति और पुरुष का द्वैत)
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योग (अष्टांग योग और साधना का मार्ग)
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पूर्व मीमांसा (वेदों के कर्मकांड की व्याख्या)
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वेदांत (अद्वैत ब्रह्म की शिक्षा)
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नास्तिक दर्शन (Non-theistic or Heterodox)
– ये दर्शन वेदों को अंतिम सत्य नहीं मानते:-
बौद्ध दर्शन (दुःख और निर्वाण का मार्ग)
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जैन दर्शन (अहिंसा और आत्मशुद्धि का मार्ग)
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चार्वाक (भौतिकवादी विचारधारा)
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जीवन के चार लक्ष्य (पुरुषार्थ)
भारतीय दर्शन चार मुख्य उद्देश्यों को मान्यता देता है:
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धर्म (कर्तव्य)
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अर्थ (समृद्धि)
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काम (इच्छा की पूर्ति)
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मोक्ष (आत्मा की मुक्ति)
क्यों आज भी प्रासंगिक है भारतीय दर्शन?
आज की भागदौड़ भरी दुनिया में जब मनुष्य तनाव, भ्रम और असंतोष से जूझ रहा है, तब भारतीय दर्शन आंतरिक शांति, नैतिकता और जीवन के उद्देश्य की ओर लौटने का रास्ता दिखाता है।
निष्कर्ष
भारतीय दर्शन केवल विचार नहीं, यह एक जीवन जीने की कला है। यह हमें सिखाता है कि जीवन केवल भोग नहीं है, बल्कि एक यात्रा है – सत्य की ओर, आत्मा की ओर और अंततः मोक्ष की ओर।
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